
सिद्धार्थनगर: भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव-2025 के दूसरे दिन भारत और नेपाल की लोककलाओं और सांस्कृतिक विरासत की अनूठी झलक देखने को मिली। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस महोत्सव में दोनों देशों के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से देर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नेपाल के कलाकारों ने पारंपरिक ‘सोरठी’ और ‘लाखे’ लोक नृत्य की प्रस्तुति देकर महोत्सव में नेपाली संस्कृति की झलक बिखेरी। वहीं, भारत के कलाकारों ने लोक नृत्यों , नृत्य नाटिका, कथक, देशभक्ति गीतों व अन्य प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।
अंशुमान मौर्या और उनकी टीम ने देशभक्ति गीतों से महोत्सव को ऊंचाई दी। सोने की जहां धरती, चांदी का गगन… और ऐ मेरे प्यारे वतन… जैसे गीतों ने दर्शकों के दिलों में देशप्रेम की भावना भर दी। अनिरुद्ध मौर्य ने भारत-नेपाल की सदियों पुरानी मित्रता को अपने गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। झांसी की राधा प्रजापति और उनकी टीम ने बुंदेलखंड का प्रसिद्ध ‘राई’ और ‘श्रृंगार’ लोकनृत्य प्रस्तुत कर लोगों को लोकसंस्कृति की ओर आकर्षित किया। इसी क्रम में अनुज मिश्रा और उनकी टीम ने ‘रघुनंदन’ नृत्य नाटिका प्रस्तुत की, जिसमें सीता स्वयंवर का जीवंत चित्रण दर्शकों को बेहद पसंद आया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के कलाकारों द्वारा दी गई ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ प्रस्तुति रही। इसमें कथक, भरतनाट्यम, विभिन्न लोकनृत्य और नेपाली गीतों का समावेश था, जिसने दोनों देशों के सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया।
भारत नेपाल मैत्री महोत्सव की दूसरी शाम की अंतिम प्रस्तुति नेपाली गायिका वर्षा श्रेष्ठ ने दी। उन्होंने, ऐ मेरे वतन के लोगों …., हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए … जैसे देशभक्ति गीतों से श्रोताओं के दिलों में देश भक्ति की भावना भर दी। इस अवसर पर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कविता शाह और संस्कृति विभाग के सहायक निदेशक डॉ. राजेश अहिरवार ने कलाकारों को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
इधर, पर्यटन एवं संस्कृति, मंत्री श्री जयवीर सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत-नेपाल मैत्री महोत्सव न केवल संस्कृति के आदान-प्रदान का मंच बना है, बल्कि इसने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों और आपसी सौहार्द को भी नई दिशा दी है।