नई दिल्लीः- आज शरद पूर्णिमा है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। और उसकी किरणों में अमृत का संचार होता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा से जुड़ी 10 अनोखी बातें:-
भगवान श्रीकृष्ण का महारास शरद पूर्णिमा की तिथि का ही बताया जाता है इस दिन भगवान कृष्ण ने सभी गोपियां के साथ महारास किया था।
श्रीकृष्ण और गोपियों का यह दिव्य रास एक प्रेममयी, आध्यात्मिक और अलौकिक घटना थी, जिसे भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस रासलीला में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी योगमाया शक्ति से गोपियों के साथ नृत्य किया, जिससे गोपियों को यह अनुभव हुआ कि श्रीकृष्ण केवल उन्हीं के साथ नृत्य कर रहे हैं।
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को लेकर भी एक खास मान्यता है। ऐसा कहते हैं कि इस दिन मां लक्ष्मी धरत पर भ्रमण कर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
कहते हैं कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को धनधान्य की प्राप्ति का वरदान देती हैं। व्यापारी वर्ग इस दिन को लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे अच्छा अवसर मानते हैं।
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसलिए इसकी रोशनी में खीर रखकर खाना शुभ होता है।
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। दरअसल मान्यताओं के अनुसार देवी लक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात को धरती पर आती हैं और हर एक जगह पर भ्रमण करते हुए पूछती हैं कि कोजागृति यानी कौन-कौन जाग रहा है। इस कारण से लोग शरद पूर्णिमा की रात को जागकर देवी लक्ष्मी की आराधना करते हैं। जो लोग शरद पूर्णिमा की रात को जागते हुए पूजा-पाठ करते हैं देवी लक्ष्मी उन से प्रसन्न होती है।
मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था इस कारण से देश की कुछ हिस्सों में लक्ष्मीजी का विशेष पूजन किया जाता है। शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए निशीथ काल में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।
शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना के अलावा भगवान शिव, भगवान हनुमान और चंद्रदेव की भी विशेष पूजा और मंत्रोचार करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए खीर का भोग लगाया जाता है। चांदनी रात में बैठकर चांद को खुली आंख से देखना और ध्यान लगाना शुभ माना जाता है।