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गोल्ड से चुके नीरज चोपड़ा लेकिन बनाया यह रिकॉर्ड, पाकिस्तान को मिला सोना 

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नई दिल्ली:- जैवलिन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा पेरिस ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाले देश के पहले ट्रैक और फील्ड खिलाड़ी बन गए. हालांकि इस मुकाबले में गोल्ड मेडल पर पाकिस्तान के अरशद नदीम ने अपना कब्जा जमाकर ओलंपिक में नया रिकॉर्ड कायम कर लिया. वहीं इस रिजल्ट के बाद नीरज चोपड़ा की माता की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि जो गोल्ड मेडल ले गया है वो भी हमारा लड़का है.

पानीपत में रहने वाली नीरज चोपड़ा की मां ने सरोज देवी ने कहा, “हम बहुत खुश हैं, हमारे लिए सिल्वर भी सोने के बराबर है. जो गोल्ड ले गया है वो भी हमारा लड़का है. मेहनत करके लेकर गया है. हर खिलाड़ी का दिन होता है. वह चोटिल हो गया था, इसलिए हम उसके प्रदर्शन से खुश हैं. जब वो (नीरज चोपड़ा) आएगा तो उसका फेवरेट खाना बनाऊंगी.”

इसके अलावा सिल्वर मेडल मिलने पर नीरज चोपड़ा के पिता सतीश कुमार का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा हम प्रेशर नहीं डाल सकते हैं. हर किसी खिलाड़ी का दिन होता है, आज पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम का दिन था, अरशद गोल्ड जीत पाए. उन्होंने कहा हम दूसरे ओलंपिक में जैवलिन में मेडल जीत पाए ये बहुत खुशी की बात है हम दूसरे देशों को फाइट दे रहे हैं.

बता दें कि 26 साल के नीरज चोपड़ा का दूसरा थ्रो ही उनका एकमात्र वैध थ्रो रहा जिसमें उन्होंने 89.45 मीटर फेंका जो इस सत्र का उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो था. इसके अलावा उनके पांचों प्रयास असफल रहे. इससे पहले उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर के थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता था.

दस बार पहले हार चुके हैं अरशद नदीम 

वहीं इस मुकाबले में पाकिस्तान के एथलीट अरशद नदीम ने नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए दूसरा थ्रो ही 92.97 मीटर का लगाया. उन्होंने छठा और आखिरी थ्रो 91.79 मीटर का लगाया. पाकिस्तान का 1992 बार्सीलोना ओलंपिक के बाद यह पहला ओलंपिक पदक है. इससे पहले दस मुकाबलों में नीरज चोपड़ा ने हमेशा अरशद नदीम को हराया था.

By Pramod Shukla

पत्रकारिता के प्रति बचपन से लगाव रहा और पारिवारिक माहौल भी अनुकूल मिला, माता जी और दो बड़े भाई पत्रकार थे, तो बाल्यावस्था से ही पत्रकारिता की बारीकियां सहजता से समझ आती गई, राजनीति, इतिहास और विज्ञान पसंदीदा विषय रहे। घूसखोरी व पत्रकारिता के आड़ में शासन-प्रशासन की दलाली से सख्त नफरत रखना शुक्ला जी की खासियत है। संसद मार्ग से लेकर गांव-कस्बों तक निर्भीकता से पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं। पढाई के बाद कई छोटे बड़े डिजिटल व प्रिंट मीडिया संस्थानों को सेवा दी। अब आशा लक्ष्य को सिनियर एडिटर व टीम लीडर के तौर पर सम्भाल रहे हैं।

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