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पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का निधन, 93 साल की उम्र में ली आखिरी सांस 

नटवर सिंह
नटवर सिंह का देहांत

नई दिल्ली:- कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे पद्मभूषण से सम्मानित पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार रात निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। अंतिम संस्कार आज दिल्ली में होगा। आपको बता दें कि श्री के नटवर दो बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नटवर सिंह ने दिल्ली के निकट गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका बेटा अस्पताल में है और कई अन्य परिवार के सदस्य उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके गृह राज्य से दिल्ली आ रहे हैं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार रविवार को दिल्ली में होगा।पूर्व कांग्रेस सांसद और राज्यसभा सदस्य रहे नटवर सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री थे।

कांग्रेस में शोक की लहर

वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने नटवर सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में पूर्व विदेश मंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह जी के निधन की खबर दुखद है। ईश्वर उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। सुरजेवाला ने नटवर सिंह की एक तस्वीर भी पोस्ट की।

सार्वजनिक जीवन में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1984 में उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान- पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। विदेश मंत्री बनने से पहले नटवर का बतौर नौकरशाह भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में 31 वर्ष का कार्यकाल रहा। उन्होंने 1953 में भारतीय विदेश सेवा अधिकारी के रूप में सेवाएं देनी शुरू कीं और अमेरिका, चीन (पेइकिंग) और संयुक्त राष्ट्र समेत कई अहम जगहों पर पदस्थापित रहे।

By Pramod Shukla

पत्रकारिता के प्रति बचपन से लगाव रहा और पारिवारिक माहौल भी अनुकूल मिला, माता जी और दो बड़े भाई पत्रकार थे, तो बाल्यावस्था से ही पत्रकारिता की बारीकियां सहजता से समझ आती गई, राजनीति, इतिहास और विज्ञान पसंदीदा विषय रहे। घूसखोरी व पत्रकारिता के आड़ में शासन-प्रशासन की दलाली से सख्त नफरत रखना शुक्ला जी की खासियत है। संसद मार्ग से लेकर गांव-कस्बों तक निर्भीकता से पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं। पढाई के बाद कई छोटे बड़े डिजिटल व प्रिंट मीडिया संस्थानों को सेवा दी। अब आशा लक्ष्य को सिनियर एडिटर व टीम लीडर के तौर पर सम्भाल रहे हैं।

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