एनआइए एफआइआर में यह आरोप भी लगाया गया है कि इस साजिश में शामिल सिख फार जस्टिस और अन्य खालिस्तान समर्थक तत्व अपने सतत इंटरनेट मीडिया अभियान और अन्य तरीकों से ऐसे युवाओं को आंदोलन और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भड़का रहे हैं और भर्ती कर रहे हैं जिन्हें आसानी से गुमराह किया जा सकता है। उनका मकसद भारतीय क्षेत्र का विभाजन कर अलग खालिस्तान राष्ट्र का निर्माण करना है।
उल्लेखनीय है कि एनआइए ने पिछले साल 18 दिसंबर को सिख फार जस्टिस मामले में घोषित आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नून समेत 10 खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। बाकी आतंकियों में परगट सिंह, सुखराज सिंह, बिक्रमजीत सिंह, मंजीत सिंह, जतिंदर सिंह, गुरविंदर सिंह, हरप्रीत सिंह, कुलदीप सिंह, और हरमीत सिंह शामिल हैं।
यह आरोप पत्र हिंसा की श्रृंखलाबद्ध घटनाओं के सिलसिले में दाखिल किया गया था जिनमें 2017-18 के दौरान पंजाब में हुई आगजनी की घटनाएं शामिल हैं। इन घटनाओं को विदेश में बसे सिख फार जस्टिस के हैंडलर्स के निर्देश और वित्तीय मदद से चरमपंथी सिख युवाओं ने अंजाम दिया था। यह मामला शुरुआत में अमृतसर पुलिस ने दर्ज किया था, लेकिन पिछले साल एनआइए ने इसे अपने हाथ में ले लिया था।