नई दिल्ली (खबर4इंडिया) पिछले दिनों खबरें आईं कि देश में कई जगह कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट नहीं मिल पा रही है। इस महामारी के फैलने से पहले देश में पीपीई कवरऑल्स की सालाना खपत 50 हजार थी। विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण की वजह से अब रोज एक लाख से ज्यादा पीपीई की जरूरत है।
जब कोरोना का संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ था, तब डब्ल्यूएचओ ने चेताया था कि दुनियाभर में पीपीई की कमी है। लेकिन भारत ने 19 मार्च को इसके निर्यात पर रोक लगाई। हालांकि देश में 30 जनवरी को पहला संक्रमित मिलने के अगले ही दिन सरकार ने पीपीई का निर्यात रोक दिया था, लेकिन 8 फरवरी को फिर से मास्क और ग्लव्स का निर्यात शुरू कर दिया था। संयुक्त सचिव (कपड़ा मंत्रालय) निहार रंजन दास बताते हैं कि वर्तमान में रोज 12 हजार पीपीई किट और 1.25 लाख एन-95 मास्क बन रहे हैं। 25 अप्रैल तक रोज 30 हजार पीपीई बनने की उम्मीद है। इस बात की जानकारी एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में संयुक्त सचिव ने दी।